उत्तर प्रदेश में मत्स्य पालन (Fisheries) को बढ़ावा देने के हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. इसके तहत UP सरकार 'मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना' चला रही है. इस योजना में मछली पालकों को 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है. सरकार ने इस योजना को अगले 4 साल के लिए बढ़ा दिया है.
'मुख्यमंत्री
मत्स्य संपदा योजना' की अवधि को 4 साल आगे
बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है. सभी मछली पालने वाले इस योजना का लाभ उठा सकते हैं.
हालांकि, सरकार की ओर से अभी मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल करने
और राजस्व वसूली संबंधी नियमों में संशोधनों के बारे में कोई फैसला नहीं किया गया
है. मौजूदा व्यवस्था में मछली पालकों से बिजली का बिल व्यवसायिक दर पर
वसूला जाता है. इसकी वजह एक मामूली सी तकनीकी कमी है. इसके तहत अभी तक मछली पालन को कृषि कार्य की श्रेणी में शामिल नहीं
किया जा सका है. इसी तरह मछली पालकों से तालाब के पट्टे का अगले 10 साल का एडवांस लगान वसूला जाता
है और बाढ़ में तालाब की मछली बह जाने पर मछली पालको को मुआवजा भी नहीं मिलता है.
मछली पालकों की ये तीन मांगें पिछले कई सालों से लंबित हैं.
4
साल के लिए
बढ़ाई गई योजना
इस स्कीम के तहत ग्राम सभा के पट्टे पर
आवंटित तालाबों के पट्टाधारकों को अनुदान पर मछली पालन करने के लिए प्रोत्साहित
किया जाता है. शासन ने इस योजना को वित्तीय वर्ष 2022-23 से वर्ष 2026-2027
तक के लिए
मंजूरी दी है. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ उठाने के
लिए इच्छुक व्यक्ति आवेदन सकते हैं. आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह से ऑनलाइन है.
योजना के
नियम एवं शर्तें
इस स्कीम का
मकसद मत्स्य पालकों के जीवन यापन को बेहतर बनाने एवं विकास की मुख्यधारा में
उन्हें शामिल करते हुए उत्पादन, राजस्व
वृद्धि एवं रोजगार उपलब्ध कराना है. स्कीम के नियम एवं शर्तों के बारे में उन्होंने
बताया कि इस स्कीम में ग्राम सभा के पट्टे पर आवंटित ऐसे तालाबों में किए जा रहे मत्स्य पालन को शामिल किया गया है, जिनका सुधार मनरेगा अथवा
पट्टाधारक द्वारा स्वयं या अन्य विभागों के माध्यम से किया गया हो.
इसके तहत
मछली पालन के लिए पहले साल की लागत में मछली का बीज, पूरक आहार, तालाब में पानी भरने के संसाधन, दवाएं और जाल आदि की खरीदारी पर उत्तर प्रदेश सरकार अनुदान
देती है. इस योजना के तहत अनुदान के दायरे में तालाबों में मत्स्य बीज बैंक की
स्थापना को भी शामिल किया गया है.
मछली पालन
के लिए अनुदान की राशि
आवेदक की कुल परियोजना लागत 4 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए. इस लागत का 40 प्रतिशत अर्थात 1.60 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध कराया जायेगा. लागत का 60 प्रतिशत खर्च लाभार्थी को स्वयं देना पड़ेगा. एक आवेदक को अधिकतम 2 हेक्टेयर जलक्षेत्र में मछली पालन के लिए अनुदान मिलता है. स्पष्ट है कि इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 3.20 लाख रुपये तक काअनुदान मिलेगा. लाभार्थियों का चयन मत्स्य निदेशालय द्वारा आवंटित लक्ष्य की सीमा तक किया जायेगा.
अनुदान के
लिए आवेदन प्रक्रिया
ऐसे सभी पट्टाधारक जिनके पट्टे की अवधि न्यूनतम 4 साल बची हो, वे इस योजना में विभागीय पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि आनलाइन आवेदन करते समय आवेदक को अपना फोटो, आधार कार्ड, पट्टा अभिलेख, स्वहस्ताक्षरित शपथ-पत्र, बैंक खाता विवरण आदि अपलोड करना अनिवार्य होगा. योजना के बारे में अन्य विस्तृत विवरण विभाग की वेबसाइट पर देखे जा सकते हैं.
"मुख्यमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना" यहां से करे Online
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